A young child, in a school uniform, is smiling and looking up at her teacher. They are standing in front of a table with a drawing the girl has made, and there are three crayons on the table.

The Art of Resilience

Afreen Khan, 21 |   Maharashtra, India

Translated From Hindi

My life was going fine before the lockdown imposed due to COVID-19 in 2020. After my brother’s exam, my family was supposed to go back to our village but we were stuck inside a small apartment. However, during the lockdown something very good happened with me. I found two didis from Sahyog Chahak. I found two older sisters. With them, I got involved with the Summer Art Camp. Restrictions of lockdown impacted the lives of children in a unique way. When the people of the organisation contacted the parents of the children, it was noted that along with the lack of medicine and ration, the children did not even have books. Online school had not started for all children. The organization thought of connecting the students to each other through mediums of art and creativity. They also provided stationery kits for children along with ration. I started distributing it among the children around. They were very happy with this and made amazing art.

I have always been fond of learning new things, especially artistry. I am well versed with the art of Henna, sewing, embroidery, fabric painting, craft, etc. I have also received a lot of prizes for these skills. Maybe, for the same reason I was selected as a volunteer in the camp, where I had to teach the children. About 700 children from the Ghatkopar area were connected to the camp. The children were divided into small groups, and I was paired with one of them. I got to learn new things here as well. Some things were happening online while some things had to be done at the ground level because not everyone had a phone or internet. The children were given a new worksheet every few days, according to which they had to draw something or do some other creative work. We faced many challenges, however, everything was worked out in collaboration with the organisation. For those who did not have a phone, we used to put this worksheet in a milk shop or surrounding areas, or we gave it to them during the ration distribution. If the children could not read messages on WhatsApp, we would send voice messages to them. When the children gave back their work, we used to make a drawing board on Facebook so that all of them can see each other’s work and talk about their own work. We also formed a group on WhatsApp to share the children’s work there.

The children were very happy to see their drawing. Through this, their imaginations were further encouraged. The tree may be blue, the mountain may be a straight line, the fish may be afraid… through their drawing, they started sharing their experiences and the turmoil within them. For many children, they were stressed in their house, often felt through the problems and increased work faced by their parents. By attending art camp, they would be engaged creatively and meet other children. Apart from drawing, the activities would sometimes involve music and drama. Our effort was to get the children out of fear of Corona. At the same time we saw that they and their parents were not always getting right information, hence, we tried to provide them with some accurate information.

I saw some bad times during Covid-19 too. My favorite uncle passed away; he had become a grandfather only a few weeks and the house was suddenly shrouded in both happiness and sorrow. Whenever we visited our village, we used to stay with them. I still feel that my uncle is with me. Besides this, my younger brother was in the process of giving his class 10 exams when the lockdown took place and he was left with one exam to attempt. The exam took place later but he was not satisfied with his marks, he shared this with me and I felt sad to hear this. However, in all this time, I was engaged in the art camp and it seemed to me that indeed, there is a world beyond the four walls of the house. The entire community supported each other during the camp. When someone was frustrated, someone else attempted to increase their enthusiasm. I have a passion to work with my community. I am now an assistant teacher with the organization. I want to continue teaching and motivating children.

मेरी ज़िंदगी कोवीड-19 के लॉकडाउन के पहले बहुत अच्छी थी | मेरे भाई के एग्जाम के बाद मैं और मेरा परिवार गाओं जाने वाले थे | लेकिन लॉकडाउन की वजह से मेरी ज़िंदगी में एक ऐसा टाइम आया की मैं घर से बाहर भी नहीं निकल सकती थी | लेकिन कोवीड-19 के समय मेरे साथ बहुत अच्छा हुआ | मुझे दो सीख देने वाली दीदी मिल गयी, जो सहयोग चहक संस्था से जुडी हुईं थीं | मुझे दो बड़ी बेहेन मिल गयी | इन दोनों ने मुझे अपने साथ रखा और मैं समर आर्ट कैम्प में व्यस्त हो गई |

 

कोवीड-19 के चलते बच्चे घर में बैठ कर बोर हो रहे थे | जब संस्था के लोगों ने पेरेंट्स से सम्पर्क किया तो पता चला की दवा और राशन की कमी के साथ-साथ बच्चों के पास किताबें वगैरह भी नहीं थी | सबका ऑनलाइन स्कूल भी नहीं शुरू हुआ था|  ऐसे में संस्था ने सोचा कि क्यों न हम बच्चों को आर्ट और क्रिएटिव माध्यम के द्वारा एक दूसरे से जोड़ें |  सहयोग संस्था ने राशन के साथ बच्चों के लिए स्टेशनरी किट भी देनी शुरू की जो मैंने आस पास के बच्चों में बाँट दी | बच्चे इससे बहुत खुश हुए और अच्छी अच्छी ड्राइंग बनाने लगे |

 

मुझे हमेशा से नई चीज़ें सीखने का शौक रहा है, खास तौर से कलाकारी | मुझे मेहँदी, सिलाई, कढ़ाई, फैब्रिक पेंटिंग, क्राफ्ट, आदि आता है | मुझे इन चीज़ों के लिए बहुत सारे प्राइज़ भी मिले हैं | शायद इसी कारण से मुझे कोवीड-19 दौरान चल रहे कैम्प में वालंटियर करने को चुना गया, जहाँ मुझे बच्चों को सीखाना था | आर्ट कैम्प में घाटकोपर इलाके से लगभग 700 बच्चे जुड़े थे | बच्चों को छोटे छोटे समूह में बाटा गया, जिनमे से एक समूह के साथ मुझे जोड़ा गया | यहाँ भी मुझे नई चीज़ें सीखने को मिली | कुछ चीज़ें ऑनलाइन हो रही थीं और कुछ चीज़ों को ज़मीनी स्तर पर करना पड़ा क्योंकि सबके पास फ़ोन और इंटरनेट नहीं था | बच्चों को हर कुछ दिन बाद एक नयी वर्कशीट देते थे जिसके अनुसार उन्हें ड्राइंग या और कुछ करना था | इस काम में चुनौतियां भी आई पर सहयोग संस्था के साथ मिल कर हर चीज़ की तरकीब निकाली गई | जिन बच्चों के पास फ़ोन नहीं था उनके लिए हम ये वर्कशीट दूध की दुकान या दुसरे किसी इलाके में लगा देते थे, या राशन वितरण के समय उन्हें देते थे | जब व्हाट्सप्प पर बच्चे मैसेज पढ़ नहीं पाते तो उन्हें वौइस् मैसेज भेजते | बच्चे अपना काम जब हमें वापिस देते तो उससे फेसबुक पर हम एक ड्राइंग बोर्ड बना देते थे ताकि सब एक दुसरे का काम देख सकें और अपने काम काम के बारे में बात कर सकें | हमने व्हाट्सप्प पर ग्रुप बनाकर उधर भी शेर किया |

 

बच्चे अपनी ड्राइंग देख कर बोहोत ही खुश हो रहे थे | इस माध्यम से उनकी कल्पना को और बढ़ावा मिला | पेड़ नीला हो सकता है, पहाड़ एक सीधी लाइन हो सकती है, मछली को डर लग सकता है… वह ड्राइंग के माध्यम से अपने अनुभव और अपने अंदर चल रही उथल-पुथल को साझा करने लगे | घर में भी तनाव था | वह देख रहे थे की उनकी मम्मियों पर घरेलू काम का और भी प्रेशर बढ़ गया तो ऐसे में डांट भी ज़्यादा पड़ती थी | तो आर्ट कैंप में भाग लेकर एक तरह उन्हें कुछ करने को मिल जाता और साथ ही दूसरे बच्चों से मिलना जुलना हो जाता | ड्राइंग के इलावा वो कभी कभी गाना और ड्रामा की एक्टिविटी करते थे | हमारा प्रयास था बच्चों को कोरोना के डर से बाहर निकालना | साथ ही हमने यह देखा की उन्हें और उनके माता पिता को सही जानकारी नहीं मिल रही थी | कुछ हद तक उन्हें जानकारी देने की भी कोशिश की |

 

हाँ कोवीड-19 के दौरान कुछ बुरा समय आया | मेरे सबसे पसंदिता चाचा की मृत्यु हो गई |  उससे एक ही हफ्ते पहले वो नाना बने थे | अचानक उनके घर पर खुशी और दुःख दोनों साथ ही आ गए | हम जब भी गांव जाते थे तो हम उन्ही के साथ रहते थे | मुझे अभी भी लगता है कि मेरे चाचा मेरे साथ हैं | इसके अलावा मेरा छोटा भाई 10th की एग्जाम दे रहा था जब लॉकडाउन हो गया | उसके सभी पेपर हो चुके थे, और सिर्फ ज्योग्राफी का बचा था | उसने पेपर बाद में दिया लेकिन वो अपने मार्क्स से खुश नहीं था | उसने मुझे बोला दीदी मैं अपने रिजल्ट से खुश नहीं हूँ | यह बात सुनकर मुझे भी बहुत दुःख हुआ | पर इस सब के दौरान भी में आर्ट कैम्प में जुडी रही | मुझे ऐसा लगने लगा की हाँ, घर की चार दीवारों के आगे भी एक दुनिया है | आर्ट  कैम्प के समय पूरे समुदाय ने एक दूसरे को सपोर्ट किया | जब कोई निराश होता तो कोई और उसका उत्साह बढ़ता | मुझे अपने समुदाय के साथ काम करने का एक जज़्बा है | मैं अब संस्था के साथ एक असिस्टैंट टीचर के तौर पर काम करती हूँ | और अभी भी बच्चों को सिखाने और उन्हें मोटीवेट करने में मदद करती हूँ |